What is CAB? क्या है सिटीजन अमेंडमेंट बिल 2019- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश किया और यह बिल 293 अनुपात 82 मतों से पास भी हो गया नागरिकता संशोधन बिल का कांग्रेस विरोध कर रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में इस बिल का स्वागत किया है वहीं सोनिया गांधी ने इसे भारत का काला दिवस बताया है.
What is CAB? क्या है सिटीजन अमेंडमेंट बिल 2019
इस बिल के अंतर्गत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हुए हिंदू, सिख, ईसाई ,पारसी ,जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को आसानी से भारत में नागरिकता मिल सकेगी.
नागरिकता संशोधन बिल इसलिए लाया गया क्योंकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में जो अल्पसंख्यक समुदाय है उन पर बहुत उत्पीड़न होता है .इसकी वजह से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू सिख बौद्ध पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा इन लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
नागरिकता संशोधन विधेयक के 10 मुख्य बातें-
- यदि कोई भारत में नागरिकता लेना चाहता है तो उस व्यक्ति को नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल तक निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं. इस समय जो नागरिकता संशोधन बिल पास हुआ है उसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान ,अफगानिस्तान के जितने भी शरणार्थी है उनके निवास की अवधि की बाध्यता को एक 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है इस बिल में संशोधन इसलिए किया गया है क्योंकि कुछ चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान किया जा सके.
- इस बिल के आने से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हुए अल्पसंख्यकों को बिना किसी दस्तावेज के भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा |
- इस बिल में यह भी संशोधन किए गए हैं कि गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे लोगों तथा पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचार का शिकार होकर जो लोग भी भारत में शरण लेने वाले लोगों से स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सके.
- इस बिल के माध्यम से जो लोग बीते 1 से लेकर 6 साल तक भारत में आकर बसे हैं उन्हें नागरिकता दी जाएगी फिलहाल अभी यह अवधि 11 साल की है |
- असम में एनआरसी में संशोधन की प्रक्रिया अभी जारी है असम के लोगों का मानना है की नागरिकता संशोधन बिल लागू होने से एनआरसी की प्रभावहीन हो जाने का खतरा है इसलिए लोग सड़कों पर उतर कर विरोध कर रहे हैं.
- असम में भाजपा के साथ सरकार चला रहा असम गण परिषद भी इस नागरिकता संशोधन बिल की खिलाफत कर रहा है उनका मानना है कि यह बिल स्थानीय लोगों के सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के खिलाफ है .
- असम गण परिषद भी इस नागरिकता संशोधन बिल की खिलाफत कर रहा है उनका मानना है कि यह बिल स्थानीय लोगों के सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के खिलाफ है कॉन्ग्रेस तृणमूल कांग्रेस समाजवादी पार्टी वाम दल तथा राष्ट्रीय जनता दल इस बिल के विरोध में है .
- इस बिल में मुस्लिमों को छोड़कर कुल 6 धर्मों के लोगों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान को आधार बनाकर कांग्रेस के लोग विरोध कर रहे हैं कि इस बिल में जाति को लेकर भेदभाव किया जा रहा है और आर्टिकल 14 का यह बिल उल्लंघन कर रहा है.
- नागरिकता संशोधन बिल का पूर्वोत्तर के राज्य में इसका विरोध जारी है इन राज्यों की चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में आए हिंदुओं को नागरिकता दी जा सकती है.
- यह नागरिकता संशोधन सन 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था जिसके बाद उसे संसदीय कमेटी के हवाले कर दिया गया इस साल की शुरुआत में यह बिल लोकसभा में भी पास हो गया लेकिन राज्यसभा में अटक गया था जिसके बाद बीजेपी की दोबारा सरकार बनने के बाद यह दोनों सदनों में पास हो गया.