आज 22 जुलाई 2019 को दोपहर के 2:46 बजे इसरो अपना महत्वाकांक्षी मिशन Chandrayaan-2 लॉन्च करने के लिए तैयार हो चुका है और इसके उल्टी गिनती आज से 1 दिन पहले यानी रविवार शाम को 6:43 पर शुरू हो चुकी थी Chandrayaan-2 को 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था लेकिन लॉन्चिंग से 1 घंटे पहले तकनीकी खराबी का पता चलने के बाद इसरो ने इस अभियान को रोक दिया और आज 22 जुलाई को दोपहर के 2:43 पर इस महत्वाकांक्षी अभियान को लांच किया जाएगा |
इसरो ने बताया कि जिओ सिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (जीएसएलवी मार्क -3) में आई तकनीकी खराबी को हमने अच्छी तरीके से ठीक कर लिया है चंद्रयान भारत का बहुत ही बड़ा महत्वकांछी चंद्र मिशन है और इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसे छोड़ा जाना है |
यह एक बहुत ही शक्तिशाली जिसे दूसरी भाषा में ‘बाहुबली’ के नाम से भी पुकारा जाता है यह रॉकेट 44 मीटर लंबा और 640 टन वजनी है इसकी लंबाई की बात करें तो यह 13 मंजिला ऊंचा बाहुबली रॉकेट है | इस चंद्र मिशन अभियान में रॉकेट के ऊपरी हिस्से में Chandrayaan-2 के अंतर्गत लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को रखा गया है जो सितंबर या अक्टूबर में चांद पर पहुंच जाएगा और उसके बाद वहां परिक्षण का काम स्टार्ट कर दिया जाएगा |
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7500 लोगो ने इसरो में कराया रजिस्ट्रेशन :-
आज 22 जुलाई 2019 को दोपहर में लांच किए जाने वाले Chandrayaan-2 जिओ सिंक्रोनस सैटेलाइट व्हीकल मार्क 3 का प्रक्षेपण देखने के लिए लगभग 7500 हजार लोगों ने इसरो में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है इसरो के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा राकेट का प्रक्षेपण देखने के लिए कुल लगभग 7500 हजार लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है |
कुछ खामियों की वजह से 15 जुलाई 2019 को Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग होनी थी लेकिन कुछ तकनीकी खामियों के कारण उसे टाल दिया गया और जिन लोगों ने रजिस्ट्रेशन को कराया था उनको आज 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान 2 मिशन को देखने का मौका मिलेगा |
तीन हिस्सों में बटा है Chandrayan-2 :-
Chandrayaan-2 को तीन हिस्सों में डिवाइड किया गया है जिसमें लैंड रोवर और ऑर्बिटर है इसमें काफी महत्वपूर्ण लेंडर है जोकि अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सम्मान में इसका नाम रखा गया है वह इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला रोवर है उसका नाम प्रज्ञान है प्रज्ञान एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब ज्ञान होता है |
लेंडर विक्रम लगभग 7 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक उतरेगा लेंडर उतरने के बाद रोवर उससे अलग हो जाएगा और रोवर अपने एक्सपेरिमेंट को अंजाम देगा जिसमें कि वहां के सैंपल के डाटा को उठा कर के वह इसरो को ट्रांसफर करेगा लैंडर और रोवर के काम करने की कुल अवधि 14 दिन की है चांद के हिसाब से यह 1 दिन की अवधि होती है वही आर्बिटर साल भर चांद की परिक्रमा करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा |
दुनिया की निगाहें Chandrayaan-2 पर टिकी हुई है –
आज से 20 साल पहले Chandrayaan-2 में इस्तेमाल किये जाने वाले क्रायोजेनिक इंजन को पाने के लिए भारत ने Rushia से अपील की और वह तैयार भी हो गया लेकिन अमेरिका बीच में आकर रोड़ा बना और क्रायोजेनिक इंजन को देने से मना करवा दिया लेकिन भारत के वैज्ञानिकों ने अपने कठिन परिश्रम और मेहनत से इस क्रायोजेनिक इंजन को तैयार कर लिया जिसकी वजह से दुनिया की निगाहें है |
इस बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी MK3 के ऊपर निगाहे पूरे विश्व की है Chandrayaan-1 ने दुनिया को बताया था कि चांद पर पानी है अब उसी सफलता को Chandrayaan-2 आगे बढ़ाते हुए पानी की मौजूदगी से जुड़े बहुत सारे ठोस नतीजे देगा |
अभियान से चांद की सतह का नक्शा तैयार करने में भी काफी हेल्प होगी जो भविष्य में अन्य अभियानों के लिए सहायक होगा चांद पर उपस्थित मिट्टी में कौन कौन से खनिज पदार्थ है कितनी मात्रा में चंद्रयान इन सभी सूचनाओं को इसरो तक पहुंचाएगा और यह हमारी सौर व्यवस्था को समझने और पृथ्वी के विकास क्रम को जानने में भी मदद करेगा |
Chandrayaan-2 संक्षिप्त में –
Chandrayaan-2 एक अंतरिक्ष यान है जिसको इसरो के द्वारा बनाया हुआ महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में से एक है इस यान को तीन हिस्सों में बांटा गया है जिसमें लैंडर विक्रम , रोवर प्रज्ञान और ऑर्बिटर है | Chandrayaan-2 को चांद पर भेजा जाने वाला दूसरा मिशन है |
इस दूसरे मिशन को भेजने के लिए भारत को लगभग 10 सालों का समय लग गया इसके पहले भारत ने अक्टूबर 2008 में चंद्रयान मिशन चंद्रमा की कक्षा में भेजा था | भारत चंद्रयान की सफलता के साथ ही अमेरिका रूस और चीन के बाद धरती के इस उपग्रह पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा Chandrayaan-2 का वजन 3877 किलोग्राम है |