Artical 35A हटाने की उल्टी गिनती शुरू : Currentaffairgk.co.in के पाठकों के लिए हम Artical 35A से रिलेटेड बहुत सारी सूचनाएं लाए हैं यह सूचनाएं आपके प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए काफी हेल्पफुल होंगे |
जम्मू कश्मीर में लागू विवादास्पद अनुच्छेद 35A को हटाने की उल्टी गिनती की प्रक्रिया स्टार्ट की जा चुकी है यह जानकारी हमें एनडीटीवी इंडिया के रिसोर्सेज से प्राप्त हुई है क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की घाटी की यात्रा के लौटने के बाद से केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में 10,000 अतिरिक्त बल भेजने का फैसला किया उसके बाद फिर समाचार में आया कि 25,000 सैनिकों को फिर भेजा जाएगा तो यह एक तरह से सरकार के कड़े रवैए का सिग्नल है |
जम्मू कश्मीर में भेजे जाने वाले हैं 10,000 सैनिकों के बारे में महबूबा मुफ्ती क्या बोली
घाटी में 10,000 सैनिकों को भेजे जाने के बाद से पीडीपी के नेता महबूबा मुफ्ती ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि जम्मू कश्मीर के 35A को किसी ने अगर हाथ लगाया तो हाथ ही नहीं जलेगा उसका पूरा शरीर जल जाएगा |
जम्मू कश्मीर बारूद के ढेर पर बैठा है इसके साथ ही महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला को भी अनुच्छेद 35A के खिलाफ साथ में रहने का आवाहन किया है आपको बता दें कि 35A को लेकर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात भी की और उन्होंने अनुच्छेद 35A को जम्मू कश्मीर से न हटाने के विषय में अपना पक्ष रखा |
फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने धमकियां दी है
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नौकरशाह अफवाह फैला रहे हैं और लोगों को राशन दवाइयां व वाहनों के लिए धन जुटाने को कहा जा रहा है ताकि अनिश्चितता का एक लंबा दौर आने की बात कहा जा रहा है की घाटी में कुछ भी हो सकता है |
और अपनी जरूरत के सामान को इकट्ठा कर लो नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पीडीपी जम्मू एवं कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और राज्य के सभी क्षेत्रीय दलों ने अनुच्छेद 35A और 370 के साथ छेड़छाड़ पर विरोध किया है |
जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35A पर सिर्फ बात करने से वहां पर काफी बवाल मचा हुआ है वहां के जो अलगाववादी नेता है वह नहीं चाहते कि यहां से धारा 35A समाप्त हो नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला ने यहां तक कहा कि संविधान की धारा 35A को रद्द करने पर जन विद्रोह की स्थिति पैदा होगी |
3 अगस्त 2019 डेली करंट अफेयर डाइजेस्ट
आप यह जानकर काफी हैरत में पड़ जाएंगे कि संविधान की किताबों में ना मिलने वाला अनुच्छेद 35A जम्मू कश्मीर की विधानसभा को यह अधिकार देता है कि वह अस्थाई नागरिक की परिभाषा तय कर सकें असल में संविधान के 35A को 14 मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जगह मिली थी
संविधान सभा से लेकर संसद की किसी भी कार्यवाही में कभी अनुच्छेद 35A वह संविधान का हिस्सा बनाने के लिए किसी संविधान संशोधन या बिल लाने का जिक्र नहीं मिलता अनुच्छेद 35A को लागू करने के लिए उस समय के जो तत्कालीन गवर्नमेंट थी उसने धारा 370 के अंतर्गत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल किया था |
यह धारा 24 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश में पारित किया था इस आदेश के द्वारा भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया |
नहीं खरीद सकते जमीन
धारा 35A के अनुसार भारत के किसी दूसरे राज्य का व्यक्ति वहां पर जमीन नहीं खरीद सकता और ना ही वहां पर नागरिक बनकर रह सकता है |
लड़कियों के अधिकार
अनुच्छेद 35A के मुताबिक अगर जम्मू कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं यहां तक कि उसे से पैदा होने वाले संतानों के भी अधिकार समाप्त हो जाते हैं |
क्यों हटाने मांग उठी
इस अनुच्छेद को हटाने के लिए जानकारों के द्वारा दलील दी जाती है कि इस धारा को संसद के द्वारा लागू नहीं किया गया था और दूसरा दलील यह दिया जाता है कि विभाजन के वक्त बड़ी संख्या में पाकिस्तान से शरणार्थी भारत आए थे |
जो कि बहुत भारी संख्या में जम्मू कश्मीर में रह गए थे और जम्मू कश्मीर की सरकार ने 35A के जरिए इन सभी भारतीय नागरिकों को जम्मू कश्मीर के स्थाई निवास प्रमाण पत्र से वंचित कर दिया था |
अनुच्छेद 370
भारतीय संविधान के Artical 370 में जम्मू कश्मीर को स्वायत्तता प्रदान की गई है और इस आर्टिकल में जम्मू कश्मीर को विशेष प्रावधान किए गए हैं जो निम्न है |
- Artical 370 के अनुसार जम्मू कश्मीर को एक अलग राज्य का दर्जा प्रदान किया गया है इसमें जम्मू कश्मीर को भारतीय संविधान के दायरे से बाहर रखा गया है और जम्मू कश्मीर का अपना खुद का संविधान है |
- Artical 370 के अंतर्गत राज्य सरकार की सहमति के बाद ही जम्मू कश्मीर में केंद्रीय विधान पालिका की संवैधानिक शक्तियों को बढ़ाया जा सकता है |
- यह सहमति अस्थाई होगी इसके लिए राज्य विधानसभा में पारित करना होगा|
- शक्तियों के विभाजन के संदर्भ में राज्य संविधान सभा की भूमिका काफी Important होगी |
- Artical 370 को राज्य विधानसभा की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है अथवा इसमें संशोधन किया जा सकता है