31 अक्टूबर : राष्ट्रीय एकता दिवस : राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जयंती पर मनाया जाता हैं | इस दिन की शुरुआत 2014 में की गई थी | जिन्हें भारत के सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के ‘लौह पुरुष’ के रूप में माना जाता हैं | सरदार वल्लभभाई पटेल 144वीं जयंती है |
राष्ट्रीय एकता दिवस -2019 मुख्य विषय राष्ट्र को संघर्ष और बढ़ते चरमपंथ के समय में एकजुट करना हैं | इस दिन सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान के रूप में मनाया जाता हैं | जिन्होंने ने भारत के स्वत्रंता संग्राम के दौरान भारतीय एकीकरण के समय अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी |
सरदार वल्लभभाई पटेल
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था | सरदार वल्लभभाई पटेल के पिता झवेरभाई पटेल एवं माता का नाम लाड़बाई था | वह अपने पिता के चौथे संतान थे | सरदार वल्लभभाई पटेल एक किसान परिवार से थे | उनकी शुरूआती जीवन में बहुत परेशनियाँ थी | वह खेतों में पिता के कामों में मदद करते थे | इसी वजह से उनकी पढ़ाई 10वीं कक्षा 22 साल के उम्र में पूर्ण हुई |
उन्होंने अपनी कालेजो की भी पढ़ाई घर पर ही की थी | इसके बाद उन्होंने जिला अधिवक्ता की परीक्षा पास की थी जिसकी वजह से उन्हें वकालत करने का मौका मिला | सरदार वल्लभभाई पटेल 36 साल उम्र में वकालत करने के लिए इंग्लैंग गए थे | उनकी वकालत करने की कोर्स 36 महीने की थी | लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल इस कोर्स को 30 महीने में पूर्ण करके वापस लौट आये |
सरदार वल्लभभाई पटेल ने गाँधी जी के साथ स्वत्रंता आंदोलन में उनके साथ हिस्सा लिया था | सरदार वल्लभभाई पटेल के गाँधी जी से काफी लगाव थे | आजादी के बाद जब भारत देश अलग -अलग राज्यों में बट रहा था | तब सरदार वल्लभभाई पटेल ने सबको एक साथ मिलाने का योगदान इन्ही का था |
इसलिए उन्हे भारत के राजनितिक एकीकरण के पिता के रूप में जाना हैं | गाँधी जी के हत्या की खबर सुनकर सरदार वल्लभभाई पटेल को बड़ा दुख हुआ और उसी समय उनको हार्ट अटैक हुआ और उनकी 15 दिसम्बर 1950 को उनकी मृत्यु हो गई | उनकी मृत्यु के बाद 1991 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया |