पद्मश्री से सम्मानित दामोदर गणेश बापट का निधन हो गया : करंट अफेयर जीके डॉट को डॉट इन के सभी पाठकों के लिए हम पद्मश्री से सम्मानित दामोदर गणेश बापट के बारे में ढेरों करंट अफेयर्स रिलेटेड सूचनाएं मुहैया करा रहे हैं जो आपके नॉलेज को बढ़ाने में काफी मददगार होगा |

पद्मश्री से सम्मानित गणेश दामोदर बापट एक सामाजिक कार्यकर्ता थे उन्होंने सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन संघर्ष में व्यतीत किया पद्म श्री दामोदर गणेश बापट का शुक्रवार को देर रात निधन हो गया वह लंबी बीमारी से जूझ रहे थे और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था करीब देर रात 2:35 बजे अंतिम सांसे ली |
पद्म श्री दामोदर गणेश बापट 42 वर्षों तक कुष्ठ रोगियों की सेवा करते रहें
दामोदर गणेश बापट एक समाजसेवी थे उन्होंने 42 वर्षों तक कुष्ठ रोगियों के लिए अपना जीवन समर्पित किया और मरणोपरांत उन्होंने अपना देहदान का संकल्प किया था|
कुष्ठ रोगियों की सेवा हेतु आश्रम के बारे में –
पद्मश्री एवं समाजसेवी दामोदर गणेश बापट में कुष्ठ आश्रम की स्थापना सन 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे द्वारा की गई थी गणेश बापट ने असहाय मरीजों के लिए कात्रे नगर चांपा के सोठी आश्रम का निर्माण किया था उन्होंने चांपा के सोठी आश्रम में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित आश्रम में कुष्ठ से पीड़ित रोगियों की सेवा हेतु अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया था
पद्मश्री दामोदर गणेश बापट के बारे में
पद्मश्री दामोदर गणेश बापट मूल रूप से ग्राम पथरोल जिला अमरावती महाराष्ट्र निवासी दामोदर बापट ने नागपुर से बीए और बीकॉम की पढ़ाई की थी मात्र 9 वर्ष की उम्र में उन्होंने आर एस एस के कार्यकर्ता बन गए थे |अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बापट ने पहले कई स्थानों पर नौकरी की लेकिन उनका नौकरी में मन नहीं लगा उसके बाद वह छत्तीसगढ़ के वनवासी कल्याण आश्रम जशपुर नगर पहुंचे और कुष्ठ रोगी बच्चों को पढ़ाने लगे और इसी बीच वह कुष्ठ रोगियों के संपर्क में आए और सदा के लिए वही के हो गए गणेश बापट के जीवन की शुरुआती दिन काफी संघर्षपूर्ण और परेशानियों से भरा रहा |
Hindi Current Affairs Quiz 18 August 2019
चांपा से लगभग 8 किलोमीटर दूर ग्राम छोटे में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ तथा संचालित आश्रम में कुछ पीड़ितों की सेवा हेतु अपना पूरा जीवन लगा दिया गणेश बापट मरीजों के साथ ही रहते थे और उनके हाथ से पका हुआ खाना भी खाया करते थे खाने-पीने के अतिरिक्त वे उनका दुख दर्द भी शेयर करते थे एक आंकड़े के मुताबिक उन्होंने लगभग 26000 मरीजों के जीवन को सवारा था इस आश्रम की स्थापना 1962 में पीड़ित सदाशिव राव गोविंद राव कात्रे ने की थी |